लाग रह्यो मन चेतनसों जी
From जैनकोष
लाग रह्यो मन चेतनसों जी
सेवक सेव सेव सेवक मिल, सेवा कौन करै पनसों जी।।१ ।।
ज्ञान सुधा पी वम्यो विषय विष, क्यों कर लागि सकै तनसौं जी ।।२ ।।
`द्यानत' आप-आप निरविकलप, कारज कवन भवन निवसों जी।।३ ।।
लाग रह्यो मन चेतनसों जी
सेवक सेव सेव सेवक मिल, सेवा कौन करै पनसों जी।।१ ।।
ज्ञान सुधा पी वम्यो विषय विष, क्यों कर लागि सकै तनसौं जी ।।२ ।।
`द्यानत' आप-आप निरविकलप, कारज कवन भवन निवसों जी।।३ ।।