अपराजिता: Difference between revisions
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2. पूर्व विदेहस्थ महावत्सा देश की मुख्य नगरी-देखें [[ लोक#5.2 | लोक - 5.2]];<br> | |||
3. नंदीश्वर द्वीप के पश्चिम में स्थित एक वापी; देखें [[ लोक#5.11 | लोक - 5.11]]; <br> | |||
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<p id="1">(1) बलभद्र पद्म की जननी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.238-239 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) बलभद्र पद्म की जननी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#238|पद्मपुराण - 20.238-239]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर मुनिसुव्रत | <p id="2" class="HindiText">(2) तीर्थंकर मुनिसुव्रत की दीक्षा-शिविका । <span class="GRef"> महापुराण 67.40, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#36|पद्मपुराण - 21.36]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) दर्भस्थल नगर के राजा सुकौशल और उसकी रानी अमृतप्रभावा की पुत्री, दशरथ की पत्नी, राम की जननी । | <p id="3" class="HindiText">(3) दर्भस्थल नगर के राजा सुकौशल और उसकी रानी अमृतप्रभावा की पुत्री, दशरथ की पत्नी, राम की जननी । अंत में यह मरकर आनत स्वर्ग मे देव हुई थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#170|पद्मपुराण - 22.170-172]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_25#19| 25.19-22]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_123#80| 123.80-81]]</span></p> | ||
<p id="4">(4) उज्जयिनी के राजा विजय की भार्या । सयुक्त 71.443</p> | <p id="4" class="HindiText">(4) उज्जयिनी के राजा विजय की भार्या । सयुक्त 71.443</p> | ||
<p id="5">(5) महावत्सा देश की राजधानी । <span class="GRef"> महापुराण 63.208-216, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.247,236 | <p id="5" class="HindiText">(5) महावत्सा देश की राजधानी । <span class="GRef"> महापुराण 63.208-216, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#247|हरिवंशपुराण - 5.247]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#236|5.236]]</span></p> | ||
<p id="6">(6) वाराणसी के राजा अग्निशिख की रानी, बलभद्र | <p id="6" class="HindiText">(6) वाराणसी के राजा अग्निशिख की रानी, बलभद्र नंदिमित्र की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 66.102-107 </span></p> | ||
<p id="7">(7) रुचकवर द्वीप में स्थित इसी नाम के पर्वत पर पूर्व दिशा में वर्तमान अरिष्टकूटवासिनी देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.699, 704-705 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) रुचकवर द्वीप में स्थित इसी नाम के पर्वत पर पूर्व दिशा में वर्तमान अरिष्टकूटवासिनी देवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#699|हरिवंशपुराण - 5.699]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#704|5.704-705]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) रुचकवर पर्वत की वायव्य दिशा में स्थित | <p id="8" class="HindiText">(8) रुचकवर पर्वत की वायव्य दिशा में स्थित रत्नोच्ययकूट वासिनी देवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#699|हरिवंशपुराण - 5.699]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#726|726]],</span></p> | ||
<p id="9">(9) समवसरण के सप्तपर्ण वन की वापिका । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.33 </span></p> | <p id="9" class="HindiText">(9) समवसरण के सप्तपर्ण वन की वापिका । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_57#33|हरिवंशपुराण - 57.33]] </span></p> | ||
<p id="10">(10) | <p id="10">(10) नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण में स्थित अंजनगिरि की एक वापी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#660|हरिवंशपुराण - 5.660]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
1. भगवान् मुनिसुव्रतनाथ की शासिका यक्षिणी-देखें तीर्थंकर - 5.3;
2. पूर्व विदेहस्थ महावत्सा देश की मुख्य नगरी-देखें लोक - 5.2;
3. नंदीश्वर द्वीप के पश्चिम में स्थित एक वापी; देखें लोक - 5.11;
4. रुचकपर्वत निवासिनी दिक्कुमारी-देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) बलभद्र पद्म की जननी । पद्मपुराण - 20.238-239
(2) तीर्थंकर मुनिसुव्रत की दीक्षा-शिविका । महापुराण 67.40, पद्मपुराण - 21.36
(3) दर्भस्थल नगर के राजा सुकौशल और उसकी रानी अमृतप्रभावा की पुत्री, दशरथ की पत्नी, राम की जननी । अंत में यह मरकर आनत स्वर्ग मे देव हुई थी । पद्मपुराण - 22.170-172, 25.19-22, 123.80-81
(4) उज्जयिनी के राजा विजय की भार्या । सयुक्त 71.443
(5) महावत्सा देश की राजधानी । महापुराण 63.208-216, हरिवंशपुराण - 5.247, 5.236
(6) वाराणसी के राजा अग्निशिख की रानी, बलभद्र नंदिमित्र की जननी । महापुराण 66.102-107
(7) रुचकवर द्वीप में स्थित इसी नाम के पर्वत पर पूर्व दिशा में वर्तमान अरिष्टकूटवासिनी देवी । हरिवंशपुराण - 5.699, 5.704-705
(8) रुचकवर पर्वत की वायव्य दिशा में स्थित रत्नोच्ययकूट वासिनी देवी । हरिवंशपुराण - 5.699, 726,
(9) समवसरण के सप्तपर्ण वन की वापिका । हरिवंशपुराण - 57.33
(10) नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण में स्थित अंजनगिरि की एक वापी । हरिवंशपुराण - 5.660