सहस्रार: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(8 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<p class="HindiText">1. बारहवाँ स्वर्ग-देखें [[ स्वर्ग#5.2 | स्वर्ग - 5.2]]।</p> | <p class="HindiText">1. बारहवाँ स्वर्ग-देखें [[ स्वर्ग#5.2 | स्वर्ग - 5.2]]।</p> | ||
<p class="HindiText">2. | <p class="HindiText">2. <span class="GRef"> पद्मपुराण/7/14- </span><br> | ||
रथनूपुर का राजा था। इसके पुत्र इंद्र ने रावण के दादा 'माली' को मारा था। पीछे रावण द्वारा युद्ध में परास्त किया गया।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 13: | Line 15: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) बारहवाँ स्वर्ग । <span class="GRef"> पद्मपुराण 105.166-169, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.15, 6, 38, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 5.117 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) बारहवाँ स्वर्ग । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#166|पद्मपुराण - 105.166-169]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#15|हरिवंशपुराण - 4.15]], 6, 38, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 5.117 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक विमान । सहस्रार | <p id="2" class="HindiText">(2) एक विमान । सहस्रार इंद्र इसी विमान में रहता है । <span class="GRef"> महापुराण 59.10 </span></p> | ||
<p id="3">(3) अलंकारपुर के राजा अशनिवेग का पुत्र । अशनिवेग इसे राज्य देकर | <p id="3" class="HindiText">(3) अलंकारपुर के राजा अशनिवेग का पुत्र । अशनिवेग इसे राज्य देकर निर्ग्रंथ हो गया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#502|पद्मपुराण - 6.502-504]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) रथनूपुर का एक विद्याधर राजा । इसकी रानी | <p id="4" class="HindiText">(4) रथनूपुर का एक विद्याधर राजा । इसकी रानी मानससुंदरी थी । गर्भावस्था में पत्नी को स्वर्गीय सुख भोगने का दोहद होने के कारण इसने अपने इस पुत्र का नाम इंद्र रखा था । इस पुत्र ने लंका के राजा रावण के दादा माली को युद्ध में मार डाला था । इस प्रकार पुत्र का रावण से विरोध होने पर इसने पुत्र को रावण से संधि करने के लिए कहा था । संधि न करने के कारण रावण ने इसे बाँध लिया था जिसे इसके निवेदन करने पर ही रावण ने मुक्त किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#1|पद्मपुराण - 7.1-2]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#18|पद्मपुराण - 7.18]], 88, 12. 168, 346-347, 13.32 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 27: | Line 29: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] | |||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
1. बारहवाँ स्वर्ग-देखें स्वर्ग - 5.2।
2. पद्मपुराण/7/14-
रथनूपुर का राजा था। इसके पुत्र इंद्र ने रावण के दादा 'माली' को मारा था। पीछे रावण द्वारा युद्ध में परास्त किया गया।
पुराणकोष से
(1) बारहवाँ स्वर्ग । पद्मपुराण - 105.166-169, हरिवंशपुराण - 4.15, 6, 38, वीरवर्द्धमान चरित्र 5.117
(2) एक विमान । सहस्रार इंद्र इसी विमान में रहता है । महापुराण 59.10
(3) अलंकारपुर के राजा अशनिवेग का पुत्र । अशनिवेग इसे राज्य देकर निर्ग्रंथ हो गया था । पद्मपुराण - 6.502-504
(4) रथनूपुर का एक विद्याधर राजा । इसकी रानी मानससुंदरी थी । गर्भावस्था में पत्नी को स्वर्गीय सुख भोगने का दोहद होने के कारण इसने अपने इस पुत्र का नाम इंद्र रखा था । इस पुत्र ने लंका के राजा रावण के दादा माली को युद्ध में मार डाला था । इस प्रकार पुत्र का रावण से विरोध होने पर इसने पुत्र को रावण से संधि करने के लिए कहा था । संधि न करने के कारण रावण ने इसे बाँध लिया था जिसे इसके निवेदन करने पर ही रावण ने मुक्त किया था । पद्मपुराण - 7.1-2,पद्मपुराण - 7.18, 88, 12. 168, 346-347, 13.32