सिंहरथ: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(6 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<ol class="HindiText"> | <ol class="HindiText"> | ||
<li> | <li>जंबूद्वीप वत्सदेश की सुसीमा नगरी का राजा था। संयमी होकर 11 अंगों का अध्ययन कर, सोलह भावनाओं का चिंतवन किया। तथा तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया। समाधिमरण कर सर्वार्थसिद्धि में अहमिंद्र हुए। <span class="GRef">( महापुराण/64/2-10 )</span> यह कुंथनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।-देखें [[ कुंथुनाथ ]]।</li> | ||
<li>सौदास का पुत्र था। सौदास के नरमांसाहारी होने पर इसको राज्य दिया गया। ( पद्मपुराण | <li>सौदास का पुत्र था। सौदास के नरमांसाहारी होने पर इसको राज्य दिया गया। <span class="GRef">( [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_#22.144|पद्मपुराण - 22.144-145]] )</span>।</li> | ||
</ol> | </ol> | ||
Line 15: | Line 16: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1">(1) एक विद्याधर । इसने कालसंवर विद्याधर के पाँच सौ पुत्रों को युद्ध में पराजित किया था | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) एक विद्याधर । इसने कालसंवर विद्याधर के पाँच सौ पुत्रों को युद्ध में पराजित किया था किंतु अंत में प्रद्युम्न के द्वारा पकड़ा लिया गया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_47#26|हरिवंशपुराण - 47.26-29]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) सिंहपुर का राजा । राजगृह के | <p id="2" class="HindiText">(2) सिंहपुर का राजा । राजगृह के जरासंध राजा ने इसे जीवित पकड़कर लाने वाले को जीवद्यशा पुत्री विवाहने की घोषणा की थी । वसुदेव ने कंस को साथ लेकर इसे जीवित पकड़ा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#2|हरिवंशपुराण - 33.2-11]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 11. 42-47 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजगृह नगर का राजा । इसने भरतक्षेत्र के | <p id="3" class="HindiText">(3) राजगृह नगर का राजा । इसने भरतक्षेत्र के शाल्मलीखंड ग्राम की प्रजा का अपहरण करने वाले चंडबाण भील को मार कर प्रजा को बंधनों से मुक्त कराया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#111|हरिवंशपुराण - 60.111-113]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) | <p id="4" class="HindiText">(4) कुंडलपुर का राजा । इसके पुरोहित का नाम सुरगुरु था । <span class="GRef"> महापुराण 62.178, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4. 103-104 </span></p> | ||
<p id="5">(5) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा विद्युद्दष्ट्र विद्याधर और उसकी स्त्री अनिलवेगा का पुत्र । इसने अपने सुवर्णतिलक पुत्र को राज्य देकर धनरथ मुनि से दीक्षा ले लो थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 241, 252-253, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 5. 66 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा विद्युद्दष्ट्र विद्याधर और उसकी स्त्री अनिलवेगा का पुत्र । इसने अपने सुवर्णतिलक पुत्र को राज्य देकर धनरथ मुनि से दीक्षा ले लो थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 241, 252-253, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 5. 66 </span></p> | ||
<p id="6">(6) | <p id="6" class="HindiText">(6) जंबूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में वत्स देश की सुसीमा नगरी का राजा । इसने यतिवृषभ मुनि से धर्मोपदेश भुनकर और राज्यभार पुत्र को देकर संयम धारण कर लिया था । अंत में यह सोलहकारण भावनाओं को भाते हुए तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर और समाधि पूर्वक देह त्यागकर अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुआ । वहाँ से चयकर यह कुंथुनाथ तीर्थंकर हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 64.2-10, 14-15, 23-24 </span></p> | ||
<p id="7">(7) तीर्थंकर अरहनाथ के पूर्वभव का नाम । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.22 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) तीर्थंकर अरहनाथ के पूर्वभव का नाम । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#22|पद्मपुराण - 20.22]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) इक्ष्वाकुवंशी अयोध्या के राजा सौदास और उसकी कनकाभा रानी का पुत्र । प्रजा ने राजा सौदास को उसके मांसाहारी हो जाने पर नगर से निकाल कर इसे राज्य सौंप दिया था । नगर से निकाले जाने पर महापुर नगर का राजा मर जाने के कारण प्रजा ने सौदास को अपने नगर का राजा बना लिया । राजा हो जाने पर सौदास ने युद्ध में अपने पुत्र पर विजय की । इसके पश्चात् वह उसे ही राज्य देकर तपोवन चला गया था । इसका अपर नाम सिंहसौदास था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 22. 144-152 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) इक्ष्वाकुवंशी अयोध्या के राजा सौदास और उसकी कनकाभा रानी का पुत्र । प्रजा ने राजा सौदास को उसके मांसाहारी हो जाने पर नगर से निकाल कर इसे राज्य सौंप दिया था । नगर से निकाले जाने पर महापुर नगर का राजा मर जाने के कारण प्रजा ने सौदास को अपने नगर का राजा बना लिया । राजा हो जाने पर सौदास ने युद्ध में अपने पुत्र पर विजय की । इसके पश्चात् वह उसे ही राज्य देकर तपोवन चला गया था । इसका अपर नाम सिंहसौदास था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#144|पद्मपुराण - 22.144-152]] </span></p> | ||
<p id="9">(9) वंग देश का राजा । यह | <p id="9" class="HindiText">(9) वंग देश का राजा । यह नंद्यावर्तपुर के राजा अतिवीर्य का मामा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_37#6|पद्मपुराण - 37.6-8]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_37#21|पद्मपुराण - 37.21]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 34: | Line 35: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- जंबूद्वीप वत्सदेश की सुसीमा नगरी का राजा था। संयमी होकर 11 अंगों का अध्ययन कर, सोलह भावनाओं का चिंतवन किया। तथा तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया। समाधिमरण कर सर्वार्थसिद्धि में अहमिंद्र हुए। ( महापुराण/64/2-10 ) यह कुंथनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।-देखें कुंथुनाथ ।
- सौदास का पुत्र था। सौदास के नरमांसाहारी होने पर इसको राज्य दिया गया। ( पद्मपुराण - 22.144-145 )।
पुराणकोष से
(1) एक विद्याधर । इसने कालसंवर विद्याधर के पाँच सौ पुत्रों को युद्ध में पराजित किया था किंतु अंत में प्रद्युम्न के द्वारा पकड़ा लिया गया था । हरिवंशपुराण - 47.26-29
(2) सिंहपुर का राजा । राजगृह के जरासंध राजा ने इसे जीवित पकड़कर लाने वाले को जीवद्यशा पुत्री विवाहने की घोषणा की थी । वसुदेव ने कंस को साथ लेकर इसे जीवित पकड़ा था । हरिवंशपुराण - 33.2-11, पांडवपुराण 11. 42-47
(3) राजगृह नगर का राजा । इसने भरतक्षेत्र के शाल्मलीखंड ग्राम की प्रजा का अपहरण करने वाले चंडबाण भील को मार कर प्रजा को बंधनों से मुक्त कराया था । हरिवंशपुराण - 60.111-113
(4) कुंडलपुर का राजा । इसके पुरोहित का नाम सुरगुरु था । महापुराण 62.178, पांडवपुराण 4. 103-104
(5) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा विद्युद्दष्ट्र विद्याधर और उसकी स्त्री अनिलवेगा का पुत्र । इसने अपने सुवर्णतिलक पुत्र को राज्य देकर धनरथ मुनि से दीक्षा ले लो थी । महापुराण 63. 241, 252-253, पांडवपुराण 5. 66
(6) जंबूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में वत्स देश की सुसीमा नगरी का राजा । इसने यतिवृषभ मुनि से धर्मोपदेश भुनकर और राज्यभार पुत्र को देकर संयम धारण कर लिया था । अंत में यह सोलहकारण भावनाओं को भाते हुए तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर और समाधि पूर्वक देह त्यागकर अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुआ । वहाँ से चयकर यह कुंथुनाथ तीर्थंकर हुआ । महापुराण 64.2-10, 14-15, 23-24
(7) तीर्थंकर अरहनाथ के पूर्वभव का नाम । पद्मपुराण - 20.22
(8) इक्ष्वाकुवंशी अयोध्या के राजा सौदास और उसकी कनकाभा रानी का पुत्र । प्रजा ने राजा सौदास को उसके मांसाहारी हो जाने पर नगर से निकाल कर इसे राज्य सौंप दिया था । नगर से निकाले जाने पर महापुर नगर का राजा मर जाने के कारण प्रजा ने सौदास को अपने नगर का राजा बना लिया । राजा हो जाने पर सौदास ने युद्ध में अपने पुत्र पर विजय की । इसके पश्चात् वह उसे ही राज्य देकर तपोवन चला गया था । इसका अपर नाम सिंहसौदास था । पद्मपुराण - 22.144-152
(9) वंग देश का राजा । यह नंद्यावर्तपुर के राजा अतिवीर्य का मामा था । पद्मपुराण - 37.6-8,पद्मपुराण - 37.21