सोम: Difference between revisions
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(4) कैलास पर्वत के पास पर्णकांता नदी के तट पर रहनेवाला एक तापस । इसकी स्त्री श्रीदत्ता तथा पुत्र चंद्र था । <span class="GRef"> महापुराण 63. 266-267 </span></p> | |||
(5) भरतक्षेत्र में मगध देश के लक्ष्मीग्राम का निवासी एक ब्राह्मण । इसकी पत्नी को मुनि की निंदा करने से उदुंबर रोग हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.317-320 </span></p> | |||
(6) हस्तिनापुर का राजा । तीर्थंकर वृषभदेव ने इसे और राजा श्रेयांस को कुरुजांगल देश का स्वामी बनाया था । इसकी लक्ष्मीमती स्त्री थी । जयकुमार इसी के पुत्र थे । इसके विजय आदि चौदह अन्य पुत्र भी थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 2.165, 207-208, 214, 3.2-3 </span>देखें [[ सोमप्रभ ]]</p> | |||
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(9) मकरध्वज विद्याधर और उसकी स्त्री अदिति का पुत्र । इंद्र ने इसे द्यौतिसंग नगर की पूर्व दिशा में लोकपाल के पद पर नियुक्त किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#108|पद्मपुराण - 7.108-109]] </span></p> | |||
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(13) सौधर्मेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयंती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#660|हरिवंशपुराण - 5.660-661]] </span></p> | |||
(14) ऐशानेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनंदा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#664|हरिवंशपुराण - 5.664-665]] </span></p> | |||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
भद्रशाल वनस्थ पद्मोत्तर दिग्गजेंद्र का स्वामी देव-देखें लोक - 3.6.4।
पुराणकोष से
(1) नंदनवन की पूर्व दिशा में विद्यमान पण्य भवन का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण - 5.311-317
(2) वसुदेव के भाई राजा अभिचंद्र का पुत्र । हरिवंशपुराण - 48.52
(3) भरतक्षेत्र के सिंहपुर नगर का अभिमानी परिव्राजक । यह मरकर इसी नगर में फंसा हुआ था । महापुराण 62.202-203, पांडवपुराण 4.117-118
(4) कैलास पर्वत के पास पर्णकांता नदी के तट पर रहनेवाला एक तापस । इसकी स्त्री श्रीदत्ता तथा पुत्र चंद्र था । महापुराण 63. 266-267
(5) भरतक्षेत्र में मगध देश के लक्ष्मीग्राम का निवासी एक ब्राह्मण । इसकी पत्नी को मुनि की निंदा करने से उदुंबर रोग हो गया था । महापुराण 71.317-320
(6) हस्तिनापुर का राजा । तीर्थंकर वृषभदेव ने इसे और राजा श्रेयांस को कुरुजांगल देश का स्वामी बनाया था । इसकी लक्ष्मीमती स्त्री थी । जयकुमार इसी के पुत्र थे । इसके विजय आदि चौदह अन्य पुत्र भी थे । पांडवपुराण 2.165, 207-208, 214, 3.2-3 देखें सोमप्रभ
(7) एक राजा । इसका पुत्र सिंहल कृष्ण का पक्षधर था । हरिवंशपुराण - 52.17
(8) विद्याधरों के चक्रवर्ती इंद्र का भक्त । माल्यवान् ने इसे भिंडिमाल शस्त्र से मूर्च्छित कर दिया था । पद्मपुराण - 7.91,पद्मपुराण - 7.95-96
(9) मकरध्वज विद्याधर और उसकी स्त्री अदिति का पुत्र । इंद्र ने इसे द्यौतिसंग नगर की पूर्व दिशा में लोकपाल के पद पर नियुक्त किया था । पद्मपुराण - 7.108-109
(10) हस्तिनापुर का राजा । चौथे नारायण पुरुषोत्तम का यह पिता था । इसकी रानी सीता थी । पद्मपुराण - 20.221-226
(11) गंधवती नगरी का पुरोहित । इसके सुकेतु और अग्निकेतु नाम के दो पुत्र थे । पद्मपुराण - 41.115-116
(12) नमि विद्याधर का एक पुत्र । हरिवंशपुराण - 22.107
(13) सौधर्मेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयंती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । हरिवंशपुराण - 5.660-661
(14) ऐशानेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनंदा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । हरिवंशपुराण - 5.664-665