समुद्रविजय: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> अंधकवृष्णि का पुत्र था। तथा कृष्ण के ताऊ थे। ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#12|12-14]]) नेमिनाथ भगवान् के पिता थे ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_38#9|38.9]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_48#43|48.43-44]]) अंत में दीक्षा धारणकर ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_61#9|61.9]]) गिरनार पर्वत पर से मोक्ष प्राप्त किया ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_65#16|65.16]])।</span></span> | |||
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के पिता । ये शौरीपुर के राजा अंधकवृष्णि और सुभद्रा के दस पुत्रों में प्रथम पुत्र थे । शिवदेवी इनकी रानी थी । इनके नौ छोटे भाई थे, जिनमें वसुदेव सबसे छोटे थे । भाइयों के नाम थे― स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, पूरितार्थीच्छ, अभिनंदन और वसुदेव । इनके अनेक पुत्र थे जिनमें कुछ सदस्य पुत्रों के नाम निम्न प्रकार है― महानेमि, सत्यनेमि, | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के पिता । ये शौरीपुर के राजा अंधकवृष्णि और सुभद्रा के दस पुत्रों में प्रथम पुत्र थे । शिवदेवी इनकी रानी थी । इनके नौ छोटे भाई थे, जिनमें वसुदेव सबसे छोटे थे । भाइयों के नाम थे― स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, पूरितार्थीच्छ, अभिनंदन और वसुदेव । इनके अनेक पुत्र थे जिनमें कुछ सदस्य पुत्रों के नाम निम्न प्रकार है― महानेमि, सत्यनेमि, दृढ़नेमि, अरिष्टनेमि, सुनेमि, जयसेन, महीजय, सुफल्गु, तेज:सेन, मय, मेघ, शिवनंद, चित्रक और गौतम आदि । ये अंत में गजकुमार मुनि का मरण जानकर दीक्षित हो गये थे । विहार करते हुए ये गिरिनार आये और वसुदेव को छोड़ शेष सभी भाईयों सहित इन्होंने मोक्ष प्राप्त किया । <span class="GRef"> महापुराण 70. 95-98, 71. 38, 46, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#58|पद्मपुराण - 20.58]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_1#79|हरिवंशपुराण - 1.79]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#13|18.13]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_31#25|31.25]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_61#9|61.9]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_65#16|65.16]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) अयोध्या का इक्ष्वाकुवंशी राजा । इसकी रानी सुबाला थी । चक्रवर्ती सगर के ये पिता थे । <span class="GRef"> महापुराण 48.71-72 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) अयोध्या का इक्ष्वाकुवंशी राजा । इसकी रानी सुबाला थी । चक्रवर्ती सगर के ये पिता थे । <span class="GRef"> महापुराण 48.71-72 </span></p> | ||
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Latest revision as of 10:11, 20 February 2024
सिद्धांतकोष से
हरिवंशपुराण/सर्ग/श्लोक
अंधकवृष्णि का पुत्र था। तथा कृष्ण के ताऊ थे। (12-14) नेमिनाथ भगवान् के पिता थे (38.9, 48.43-44) अंत में दीक्षा धारणकर (61.9) गिरनार पर्वत पर से मोक्ष प्राप्त किया (65.16)।
पुराणकोष से
(1) बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के पिता । ये शौरीपुर के राजा अंधकवृष्णि और सुभद्रा के दस पुत्रों में प्रथम पुत्र थे । शिवदेवी इनकी रानी थी । इनके नौ छोटे भाई थे, जिनमें वसुदेव सबसे छोटे थे । भाइयों के नाम थे― स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, पूरितार्थीच्छ, अभिनंदन और वसुदेव । इनके अनेक पुत्र थे जिनमें कुछ सदस्य पुत्रों के नाम निम्न प्रकार है― महानेमि, सत्यनेमि, दृढ़नेमि, अरिष्टनेमि, सुनेमि, जयसेन, महीजय, सुफल्गु, तेज:सेन, मय, मेघ, शिवनंद, चित्रक और गौतम आदि । ये अंत में गजकुमार मुनि का मरण जानकर दीक्षित हो गये थे । विहार करते हुए ये गिरिनार आये और वसुदेव को छोड़ शेष सभी भाईयों सहित इन्होंने मोक्ष प्राप्त किया । महापुराण 70. 95-98, 71. 38, 46, पद्मपुराण - 20.58, हरिवंशपुराण - 1.79, 18.13, 31.25, 61.9, 65.16
(2) अयोध्या का इक्ष्वाकुवंशी राजा । इसकी रानी सुबाला थी । चक्रवर्ती सगर के ये पिता थे । महापुराण 48.71-72