तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई: Difference between revisions
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तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई
काल अनन्त रुल्यो जगमाहीं, आपद बहुविधि पाइंर्।।तू ही. ।।१ ।।
तुम राजा हम परजा तेरे, कीजिये न्याव न काइंर्।।तू ही.।।२ ।।
`द्यानत' तेरा करमनि घेरा, लेहु छुड़ाय गुसाइंर् ।।तू ही.।।३ ।।