तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई
From जैनकोष
तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई
काल अनन्त रुल्यो जगमाहीं, आपद बहुविधि पाइंर्।।तू ही. ।।१ ।।
तुम राजा हम परजा तेरे, कीजिये न्याव न काइंर्।।तू ही.।।२ ।।
`द्यानत' तेरा करमनि घेरा, लेहु छुड़ाय गुसाइंर् ।।तू ही.।।३ ।।