ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो: Difference between revisions
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Latest revision as of 02:06, 16 February 2008
ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो
मुख दरसत सुख बरसत प्रानी, विघन विमुख ह्वै जात हो।।ए मन. ।।१ ।।
सार निहार यही शुभ गतिमें, छह मत मानै ख्यात हो ।।ए मन. ।।२ ।।
`द्यानत' जानत स्वामि नाम धन, जस गावैं उठि प्रात हो।।ए मन. ।।३ ।।