ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो
From जैनकोष
ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो
मुख दरसत सुख बरसत प्रानी, विघन विमुख ह्वै जात हो।।ए मन. ।।१ ।।
सार निहार यही शुभ गतिमें, छह मत मानै ख्यात हो ।।ए मन. ।।२ ।।
`द्यानत' जानत स्वामि नाम धन, जस गावैं उठि प्रात हो।।ए मन. ।।३ ।।