जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category: | [[Category:देव भक्ति ]] |
Latest revision as of 02:07, 16 February 2008
जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा
प्रीति करि आवै सुख, भीति करि जावै दुख,
नित ध्यावै सनमुख, ईति न आवे नीयरा ।।जिन. ।।१ ।।
मंगल प्रवाह होय, विघनका दाह धोय,
जस जागै तिहुँ लोय, शांत होय हीयरा ।।जिन. ।।२ ।।
`द्यानत' कहाँ लौं कहै, इन्द्र चन्द्र सेवा बहै,
भव दुख पावकको, भक्ति नीर सीयरा ।।जिन. ।।३ ।।