भविन-सरोरूहसूर भूरिगुनपूरित अरहंता: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: भविन-सरोरूहसूर भूरिगुनपूरित अरहंता ।<br> दुरित दोष मोष पथघोषक, करन कर्मअ...) |
No edit summary |
||
Line 14: | Line 14: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:दौलतरामजी]] | [[Category:दौलतरामजी]] | ||
[[Category:देव भक्ति ]] |
Latest revision as of 03:06, 16 February 2008
भविन-सरोरूहसूर भूरिगुनपूरित अरहंता ।
दुरित दोष मोष पथघोषक, करन कर्मअन्ता ।।भविन. ।।
दर्शबोधतैं युगपतलखि जाने जु भाव%नन्ता ।
विगताकुल जुतसुख अनन्त अन्त शक्तिवन्ता।।१ ।।भविन. ।।
जा तनजोत उदोतथकी रवि, शशिदुति लाजंता ।
तेजथोक अवलोक लगत है, फोक सचीकन्ता।।२ ।।भविन. ।।
जास अनूप रूपको निरखत, हरखत हैं सन्ता ।
जाकी धुनि सुनि मुनि निजगुनमुन, पर-गर उगलंता।।३ ।।भविन. ।।
`दौल' तौल विन जस तस वरनत, सुरगुरु अकुलंता ।
नामाक्षर सुन कान स्वानसे, रांक नाक गंता।।४ ।।भविन. ।।