सुनंद: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का पाँचवाँ पुत्र। यह नंदिषेण के भाई के साथ युगल रूप में उत्पन्न हुआ था। इसके गंग, गंगदत्त, गंगरक्षित और नंद बड़े भाई तथा नंदिषेण और निर्नामक छोटे भाई थे। <span class="GRef"> महापुराण 71. 263 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.141-145 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का पाँचवाँ पुत्र। यह नंदिषेण के भाई के साथ युगल रूप में उत्पन्न हुआ था। इसके गंग, गंगदत्त, गंगरक्षित और नंद बड़े भाई तथा नंदिषेण और निर्नामक छोटे भाई थे। <span class="GRef"> महापुराण 71. 263 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#141|हरिवंशपुराण - 33.141-145]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) वृंदावन का रहने वाला एक गोप। इसकी स्त्री यशोदा थी। बलदेव और वसुदेव ने पालन-पोषण करने के लिए कृष्ण को इसे ही सौंपा था। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 35.28-29 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) वृंदावन का रहने वाला एक गोप। इसकी स्त्री यशोदा थी। बलदेव और वसुदेव ने पालन-पोषण करने के लिए कृष्ण को इसे ही सौंपा था। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_35#28|हरिवंशपुराण - 35.28-29]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) अठारहवें तीर्थंकर अरनाथ का एक असिरत्न। <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.21 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) अठारहवें तीर्थंकर अरनाथ का एक असिरत्न। <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.21 </span></p> | ||
<p id="4">(4) एक यक्ष। इसने लक्ष्मण को ससम्मान सौनंदक तलवार दी थी। <span class="GRef"> महापुराण 68.646 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) एक यक्ष। इसने लक्ष्मण को ससम्मान सौनंदक तलवार दी थी। <span class="GRef"> महापुराण 68.646 </span></p> | ||
<p id="5">(5) आगामी दसवें तीर्थंकर का जीव। <span class="GRef"> महापुराण 76.472 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) आगामी दसवें तीर्थंकर का जीव। <span class="GRef"> महापुराण 76.472 </span></p> | ||
<p id="6">(6) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव। <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.23-24 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#23|पद्मपुराण - 20.23-24]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) बाईसवें तीर्थंकर नमिनाथ के पूर्वभव के पिता। <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 29-30 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) बाईसवें तीर्थंकर नमिनाथ के पूर्वभव के पिता। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#29|पद्मपुराण - 20.29-30]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा। यह राम-रावण युद्ध में युद्ध करने गया था। <span class="GRef"> पद्मपुराण 73.171 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा। यह राम-रावण युद्ध में युद्ध करने गया था। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_73#171|पद्मपुराण - 73.171]] </span></p> | ||
<p id="9">(9) विजयावती नगरी का एक गृहस्थ। इसकी पत्नी रोहिणी तथा अर्हद्दास और ऋषिदास पुत्र थे। <span class="GRef"> पद्मपुराण 123.112-115 </span></p> | <p id="9" class="HindiText">(9) विजयावती नगरी का एक गृहस्थ। इसकी पत्नी रोहिणी तथा अर्हद्दास और ऋषिदास पुत्र थे। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_123#112|पद्मपुराण - 123.112-115]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
(1) भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का पाँचवाँ पुत्र। यह नंदिषेण के भाई के साथ युगल रूप में उत्पन्न हुआ था। इसके गंग, गंगदत्त, गंगरक्षित और नंद बड़े भाई तथा नंदिषेण और निर्नामक छोटे भाई थे। महापुराण 71. 263 हरिवंशपुराण - 33.141-145
(2) वृंदावन का रहने वाला एक गोप। इसकी स्त्री यशोदा थी। बलदेव और वसुदेव ने पालन-पोषण करने के लिए कृष्ण को इसे ही सौंपा था। हरिवंशपुराण - 35.28-29
(3) अठारहवें तीर्थंकर अरनाथ का एक असिरत्न। पांडवपुराण 7.21
(4) एक यक्ष। इसने लक्ष्मण को ससम्मान सौनंदक तलवार दी थी। महापुराण 68.646
(5) आगामी दसवें तीर्थंकर का जीव। महापुराण 76.472
(6) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव। पद्मपुराण - 20.23-24
(7) बाईसवें तीर्थंकर नमिनाथ के पूर्वभव के पिता। पद्मपुराण - 20.29-30
(8) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा। यह राम-रावण युद्ध में युद्ध करने गया था। पद्मपुराण - 73.171
(9) विजयावती नगरी का एक गृहस्थ। इसकी पत्नी रोहिणी तथा अर्हद्दास और ऋषिदास पुत्र थे। पद्मपुराण - 123.112-115