मधुकैटभ: Difference between revisions
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महापुराण/60/ श्लोक–अपर नाम मधुसूदन था। दूरवर्ती पूर्वभव में मलय देश का राजा चंडशासन था।(52)। अनेकों योनियों में घूमकर वर्तमान भव में चतुर्थ प्रतिनारायण हुआ।(70)।–विशेष देखें [[ शलाकापुरुष#5 | शलाकापुरुष - 5]]। | |||
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<p> चौथा प्रतिनारायण । दूरवर्ती पूर्वभव में यह मलय देश का राजा | <p> चौथा प्रतिनारायण । दूरवर्ती पूर्वभव में यह मलय देश का राजा चंडशासन था । अनेक योनियों में भटकने के बाद यह प्रतिनारायण हुआ । यह वाराणसी नगरी का नृप था । नारद से बलभद्र सुप्रभ और नारायण पुरुषोत्तम का वैभव सुनकर इसने उनसे हाथी तथा रत्न करके रूप में माँगे थे । इसकी इस माँग से क्षुब्ध होकर नारायण ने इससे युद्ध किया । इसने नारायण पुरुषोत्तम पर चक्र चलाया किंतु चक्र से नारायण की कोई हानि नहीं हुई अपितु उसी चक्र से यह मारा गया और मरकर नरक गया । <span class="GRef"> महापुराण 60.52, 70-78, 83, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#291|हरिवंशपुराण - 60.291]] </span>देखें [[ मधुसूदन ]]</p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
== सिद्धांतकोष से == महापुराण/60/ श्लोक–अपर नाम मधुसूदन था। दूरवर्ती पूर्वभव में मलय देश का राजा चंडशासन था।(52)। अनेकों योनियों में घूमकर वर्तमान भव में चतुर्थ प्रतिनारायण हुआ।(70)।–विशेष देखें शलाकापुरुष - 5।
पुराणकोष से
चौथा प्रतिनारायण । दूरवर्ती पूर्वभव में यह मलय देश का राजा चंडशासन था । अनेक योनियों में भटकने के बाद यह प्रतिनारायण हुआ । यह वाराणसी नगरी का नृप था । नारद से बलभद्र सुप्रभ और नारायण पुरुषोत्तम का वैभव सुनकर इसने उनसे हाथी तथा रत्न करके रूप में माँगे थे । इसकी इस माँग से क्षुब्ध होकर नारायण ने इससे युद्ध किया । इसने नारायण पुरुषोत्तम पर चक्र चलाया किंतु चक्र से नारायण की कोई हानि नहीं हुई अपितु उसी चक्र से यह मारा गया और मरकर नरक गया । महापुराण 60.52, 70-78, 83, हरिवंशपुराण - 60.291 देखें मधुसूदन