संभूत: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) काशी नगरी का राजा । यह मुनि स्वतंत्रलिंग का शिष्य था । इसने अंत में दीक्षा ले ली थी तथा मरकर यह कमलगुल्म विमान में देव हुआ । स्वर्ग से चयकर इसका जीव कांपिल्य नगर में बारहवाँ चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.191-192 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) काशी नगरी का राजा । यह मुनि स्वतंत्रलिंग का शिष्य था । इसने अंत में दीक्षा ले ली थी तथा मरकर यह कमलगुल्म विमान में देव हुआ । स्वर्ग से चयकर इसका जीव कांपिल्य नगर में बारहवाँ चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#191|पद्मपुराण - 20.191-192]] </span></p> | ||
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<p id="3">(3) हरिवंशी राजा रत्नमाला का पुत्र और भूतदेव का पिता । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.9 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) हरिवंशी राजा रत्नमाला का पुत्र और भूतदेव का पिता । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#9|पद्मपुराण - 21.9]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) राम के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> महापुराण 66.123 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) राम के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> महापुराण 66.123 </span></p> | ||
<p id="5">(5) विशाखनंदी और विश्वनंदी के दीक्षागुरु एक मुनि । <span class="GRef"> महापुराण 57.77-78 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) विशाखनंदी और विश्वनंदी के दीक्षागुरु एक मुनि । <span class="GRef"> महापुराण 57.77-78 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
(1) काशी नगरी का राजा । यह मुनि स्वतंत्रलिंग का शिष्य था । इसने अंत में दीक्षा ले ली थी तथा मरकर यह कमलगुल्म विमान में देव हुआ । स्वर्ग से चयकर इसका जीव कांपिल्य नगर में बारहवाँ चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त हुआ । पद्मपुराण - 20.191-192
(2) प्रथम नारायण-त्रिपृष्ठ का पूर्वभव का गुरु । महापुराण 20.216
(3) हरिवंशी राजा रत्नमाला का पुत्र और भूतदेव का पिता । पद्मपुराण - 21.9
(4) राम के दीक्षागुरु । महापुराण 66.123
(5) विशाखनंदी और विश्वनंदी के दीक्षागुरु एक मुनि । महापुराण 57.77-78