सुप्रभा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
नंदीश्वर द्वीप की उत्तर दिशा में स्थित एक वापी- देखें [[ लोक#5.11 | लोक - 5.11]] | <p class="HindiText">नंदीश्वर द्वीप की उत्तर दिशा में स्थित एक वापी- देखें [[ लोक#5.11 | लोक - 5.11]]</p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Latest revision as of 10:28, 24 February 2024
सिद्धांतकोष से
नंदीश्वर द्वीप की उत्तर दिशा में स्थित एक वापी- देखें लोक - 5.11
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के किन्नरोद्गीत नगर के युवराज अशनिवेग की स्त्री। इसकी पुत्री श्यामा थी जो वसुदेव को विवाही गयी थी। हरिवंशपुराण - 19.80-83, 95
(2) समवसरण के आम्रवन की एक वापी। हरिवंशपुराण - 57.35
(3) राजा समुद्रविजय के छोटे भाई अभिचंद्र की रानी। महापुराण 70.99, हरिवंशपुराण - 19.5
(4) त्रिशृंगपुर नगर के राजा प्रचंडवाहन और रानी विमलप्रभा की दूसरी पुत्री। हरिवंशपुराण - 45.95-98
(5) धातकीखंड द्वीप के पश्चिम विदेह क्षेत्र में स्थित गंधिल देश की अयोध्या नगरी के राजा जयवर्मा की रानी और अजितंजय की जननी। राजा जयवर्मा के दीक्षित होकर मोक्ष जाने के पश्चात् यह सुदर्शना गणनी के पास रत्नावली व्रत करके अमृत स्वर्ग के अनुदिश विमान में देव हुई। महापुराण 7.38-44
(6) वाराणसी नगरी के राजा अकंपन की रानी। इसके हेमांगद आदि सौ पुत्र तथा सुलोचना और लक्ष्मीमती ये दो पुत्रियाँ थी। महापुराण 43. 124, 130-135
(7) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित मनोहर देश में रत्नपुर नगर के राजा पिंगल की रानी। यह विद्युत्प्रभा की जननी थी। महापुराण 47.261-263
(8) एक शिविका। तीर्थंकर अजितनाथ ने दीक्षा वन जाते समय इसका व्यवहार किया था। महापुराण 48.37
(9) विजयार्ध पर्वत पर स्थित वस्त्वालय नगर के राजा सेंद्रकतु की रानी। यह मदनवेगा की जननी थी। महापुराण 63.250-251
(10) सौधर्मेंद्र की देवी। इसने मनुष्य पर्याय पाकर तप करने का विचार किया था। फलस्वरूप वहाँ से चयकर इसने श्रीषेण राजा की पुत्री होकर दीक्षा धारण की थी। महापुराण 72.251-256
(11) वैशाली के राजा चेटक और रानी सुभद्रा की तीसरी पुत्री। हेमकच्छ नगर के राजा दशरथ की यह रानी थी। महापुराण 75. 3-6, 10-11
(12) एक गणिनी। राजा दमितारि को पुत्री कनकश्री ने इन्हीं से दीक्षा ली थी। महापुराण 62.500-508
(13) पुंडरीकिणी नगरी के वज्र वैश्य की स्त्री। महापुराण 71. 366
(14) प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ की पटरानी। पद्मपुराण - 20.227-228
(15) किन्नरगीत नगर के राजा रतिमयूख और अनुमति रानी की पुत्री। पद्मपुराण -5. 179
(16) राजा रक्षस की रानी। आदित्यगति और बृहत्कीर्ति इसके पुत्र थे। पद्मपुराण - 5.378-379
(17) पांचवें बलभद्र सुदर्शन की जननी। पद्मपुराण - 20.238-239
(18) राजा दशरथ की रानी। शत्रुघ्न इसके पुत्र थे। पद्मपुराण - 22.176, 25.39, 37.50
(19) जनक के छोटे भाई कनक की रानी। लोकसुंदरी इसकी कन्या थी। पद्मपुराण - 28.258
(20) देवगीतपुर नगर के चंद्रमंडल की पत्नी। चंद्रप्रतिम इसका पुत्र था। पद्मपुराण - 64.24-31