ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो<br> मुख दरसत सुख बरसत प्रानी, विघन व...) |
No edit summary |
||
Line 8: | Line 8: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Revision as of 23:05, 15 February 2008
ए मान ये मन कीजिये भज प्रभु तज सब बात हो
मुख दरसत सुख बरसत प्रानी, विघन विमुख ह्वै जात हो।।ए मन. ।।१ ।।
सार निहार यही शुभ गतिमें, छह मत मानै ख्यात हो ।।ए मन. ।।२ ।।
`द्यानत' जानत स्वामि नाम धन, जस गावैं उठि प्रात हो।।ए मन. ।।३ ।।