सिद्धार्था: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ
–भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। उनमें से एक विद्या का नाम सिद्धार्था है।
एक विद्या-देखें विद्या ।
पुराणकोष से
(1) विभीषण को प्राप्त एक विद्या । पद्मपुराण -7. 334
(2) साकेत नगर के राजा स्वयंवर की पटरानी । यह तीर्थंकर अभिनंदननाथ की जननी थी । महापुराण 50. 16-17, 21-22, पद्मपुराण - 20.40