योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 68: Difference between revisions
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धर्मादि द्रव्यों की प्रदेश व्यवस्था - | <p class="Utthanika">धर्मादि द्रव्यों की प्रदेश व्यवस्था -</p> | ||
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धर्माधर्मैकजीवानां प्रदेशानामसंख्यया ।<br> | धर्माधर्मैकजीवानां प्रदेशानामसंख्यया ।<br> | ||
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<p><b> अन्वय </b>:- परमाणुना अवष्टब्ध: नभोदेश: प्रदेश:, धर्म-अधर्म-एक जीवानां प्रदेशानां (संख्या) असंख्यया । </p> | <p class="GathaAnvaya"><b> अन्वय </b>:- परमाणुना अवष्टब्ध: नभोदेश: प्रदेश:, धर्म-अधर्म-एक जीवानां प्रदेशानां (संख्या) असंख्यया । </p> | ||
<p><b> सरलार्थ </b>:- परमाणु से आकाश का एक प्रदेश घिरा हुआ है । धर्म, अधर्म और एक जीव, इन द्रव्यों के अर्थात् इन प्रत्येक द्रव्य के असंख्यात प्रदेशों से आकाश का स्थान अवरुद्ध अर्थात् घिरा हुआ है । </p> | <p class="GathaArth"><b> सरलार्थ </b>:- परमाणु से आकाश का एक प्रदेश घिरा हुआ है । धर्म, अधर्म और एक जीव, इन द्रव्यों के अर्थात् इन प्रत्येक द्रव्य के असंख्यात प्रदेशों से आकाश का स्थान अवरुद्ध अर्थात् घिरा हुआ है । </p> | ||
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Latest revision as of 10:13, 15 May 2009
धर्मादि द्रव्यों की प्रदेश व्यवस्था -
धर्माधर्मैकजीवानां प्रदेशानामसंख्यया ।
अवष्टब्धो नभोदेश: प्रदेश: परमाणुना ।।६८।।
अन्वय :- परमाणुना अवष्टब्ध: नभोदेश: प्रदेश:, धर्म-अधर्म-एक जीवानां प्रदेशानां (संख्या) असंख्यया ।
सरलार्थ :- परमाणु से आकाश का एक प्रदेश घिरा हुआ है । धर्म, अधर्म और एक जीव, इन द्रव्यों के अर्थात् इन प्रत्येक द्रव्य के असंख्यात प्रदेशों से आकाश का स्थान अवरुद्ध अर्थात् घिरा हुआ है ।