निपट अयाना, तैं आपा नहीं जाना: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: निपट अयाना, तैं आपा नहीं जाना, नाहक भरम भुलाना बे ।।टेक ।।<br> पीय अनादि मोह...) |
No edit summary |
||
Line 12: | Line 12: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:दौलतरामजी]] | [[Category:दौलतरामजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 06:52, 16 February 2008
निपट अयाना, तैं आपा नहीं जाना, नाहक भरम भुलाना बे ।।टेक ।।
पीय अनादि मोहमद मोह्यो, परपदमें निज माना बे ।।
चेतन चिह्न भिन्न जड़तासों ज्ञानदरश रस-साना बे ।
तनमें छिप्यो लिप्यो न तदपि ज्यों, जलमें कजदल माना बे ।।२ ।।
सकलभाव निज निज परनतिमय, कोई न होय बिराना बे ।
तू दुखिया परकृत्य मानि ज्यौं, नभताड़न-श्रम ठाना बे ।।३ ।।
अजगनमें हरि भूल अपनपो, भयो दीन हैराना बे ।
`दौल' सुगुरु धुनि सुनि निजमें निज, पाय लह्यो सुखथाना बे ।।४ ।।