ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 12 - समय-व्याख्या
From जैनकोष
पज्जयविजुदं दव्वं दव्वविमुत्ता य पज्जया णत्थि । ।
दोण्हं अणण्णभूदं भावं समणा परूवेंति ॥12॥
अर्थ:
पर्याय रहित द्रव्य और द्रव्य रहित पर्यायें नहीं होती हैं। दोनों का अनन्यभूत भाव / अभिन्नपना श्रमण प्ररूपित करते हैं।
समय-व्याख्या:
अत्र द्रव्यपर्यायाणामभेदो निर्दिष्ट: । दुग्धदधिनवनीतघृतादिवियुतगोरसत्वपर्यायवियुतं द्रव्यं नास्ति । गोरसवियुक्तदुग्धदधिनवनीतघृतादिवद᳭द्रव्यवियुक्ता: पर्याया न सन्ति । ततो द्रव्यस्य पर्यायाणां चादेशवशात्कथंचिद᳭भेदेऽप्येकास्तित्वनियतत्वादन्योन्याजहद᳭वृत्तीनां वस्तुत्वेनाभेद इति ॥१२॥
समय-व्याख्या हिंदी :
यहाँ द्रव्य और पर्यायों का अभेद दर्शाया है ।
जिस प्रकार दूध, दही, मक्खन, घी इत्यादि से रहित गोरस नहीं होता उसी प्रकार पर्यायों से रहित द्रव्य नहीं होता; जिस प्रकार गोरस से रहित दूध, दही, मक्खन, घी इत्यादि नहीं होते उसी प्रकार द्रव्य से रहित पर्यायें नहीं होतीं । इसलिए यद्दपि द्रव्य और पर्यायों का आदेशवशात् (कथन के वश) कथंचित भेद है तथापि, वे एक अस्तित्व में नियत (दृढ़-रूप से स्थित) होने के कारण अन्योन्य-वृत्ति नहीं छोड़ते -- इसलिए वस्तु-रूप से उनमें अभेद है ॥१२॥