ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 60 - समय-व्याख्या
From जैनकोष
कुव्वं सगं सहावं अत्ता कत्ता सगस्स भावस्स । (60)
ण हि पोग्गलकम्माणं इदि जिणवयणं मुणेयव्वं ॥67॥
अर्थ:
अपने भाव को कर्ता हुआ आत्मा वास्तव में अपने भाव का ही कर्ता है, पुद्गल कर्मों का नहीं- ऐसा जिनवचन जानना चाहिए।
समय-व्याख्या:
निश्चयेन जीवस्य स्वभावानां कर्तृत्वं पुद᳭कर्मणामकर्तृत्वं चागमेनोपदर्शितमत्र इति ॥६०॥
समय-व्याख्या हिंदी :
निश्चय से जीव को अपने भावों का कर्तृत्व है और पुद्गल-कर्मों का अकर्तृत्व है ऐसा यहाँ आगम द्वारा दर्शाया गया है ॥६०॥