तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो
From जैनकोष
तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो, मैं जीवन दुख सब भूल गया ।
यह पावन प्रतिमा देख प्रभो ।।टेक ।।
ज्यों काली घटायें आती हैं, त्यों कोयल कूक मचाती है ।
मेरा रोम रोम त्यों हर्षित है, हाँ हर्षित है ।।
यह चन्द्र छवि जिन देख प्रभो ।।१ ।।
दोष के हरनेवाले, हो तुम मोक्ष के वरनेवाले ।
मेरा मन भक्ति में लीन हुआ, हाँ, लीन हुआ ।।
इसको तो निभाना देख प्रभो ।।२ ।।
हर श्वांस में तेरी ही लय हो, कर्मो पर सदा विजय भी हो ।
यह जीवन तुझसा जीवन हो, हाँ जीवन हो ।।
`सौभाग्य' यह ही लिख लेख प्रभो ।।३ ।।