देखो जी आदीश्वर स्वामी कैसा ध्यान लगाया है!
From जैनकोष
देखो जी आदीश्वर स्वामी कैसा ध्यान लगाया है ।
कर ऊपरि कर सुभग विराजै, आसन थिर ठहराया है ।।टेक ।।
जगत-विभूति भूतिसम तजकर, निजानन्द पद ध्याया है ।
सुरभित श्वासा, आशा वासा, नासादृष्टि सुहाया है ।।१ ।।
कंचन वरन चलै मन रंच न, सुरगिर ज्यों थिर थाया है ।
जास पास अहि मोर मृगी हरि, जातिविरोध नसाया है ।।२ ।।
शुध उपयोग हुताशन में जिन, वसुविधि समिध जलाया है ।
श्यामलि अलकावलि शिर सोहै, मानों धुआँ उड़ाया है ।।३ ।।
जीवन-मरन अलाभ-लाभ जिन, तृन-मनिको सम भाया है ।
सुर नर नाग नमहिं पद जाकै, `दौल' तास जस गाया है ।।४ ।।