धन्य धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है
From जैनकोष
धन्य धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है ।
वीर जिन पधारे देखो रथ हो सवार हैं ।।टेर ।।
खुशियां अपार आज हर दिल पे छाई है ।
दर्शन के हेतु सब जनता अकुलाई है ।।
ठोर ठोर देखलो भीड बेशुमार है, वीर जिन पधारे ।
देखो रथ हो सवार है ।।१ ।।
भक्ति से नृत्य गान कोई हैं कर रहे ।
आतम सुबोध कर पापों से डर रहे ।।
पल पल पुण्य का भरे भंडार हैं, वीर जिन पधारे ।
देखो रथ हो सवार हैं ।।२ ।।
जय जय के नाद से गूंजा आकाश है ।
छूटेंगे पाप सब निश्चय यह आश है ।।
देखलो `सौभाग्य' खुला आज मुक्ति द्वार है, वीर जिन पधारे ।
देखो रथ हो सवार है ।।३ ।।