ध्यान धर ले प्रभू को ध्यान धर ले
From जैनकोष
ध्यान धर ले प्रभू को ध्यान धर ले,
आ माथे ऊबी मौत भाया ज्ञान करले ।।टेक ।।
फूल गुलाबी कोमल काया, या पल में मुरझासी,
जोबन जोर जवानी थारी, सन्ध्या सी ढल जासी ।प्रभू. को... ।।१ ।।
हाड़ मांस का पींजरा पर, या रूपाली चाम,
देख रिझायो बावला, क्यूं जड़ को बण्यो गुलाम ।प्रभू. को... ।।२ ।।
लाम्बो चौड़ो मांड पसारो, कीयां रह्यो है फूल,
हाट हवेली काम न आसी, या सोना की झूल ।प्रभू. को... ।।३ ।।
भाई बन्धु कुटुम्ब कबीलो, है मतलब को सारो,
आपा पर को भेद समझले जद होसी निस्तारो ।प्रभू. को... ।।४ ।।
मोक्ष महल को सांचो मारग, यो छ: जरा समझले,
उत्तम कुल `सौभाग्य' मिल्यो है, आतमराम सुमरलौ ।प्रभू. को... ।।५ ।।