पल पल बीते उमरिया रूप जवानी जाती
From जैनकोष
पल पल बीते उमरिया रूप जवानी जाती, प्रभु गुण गाले,
गाले प्रभु गुण गाले ।।टेर ।।
पूरब पुण्य उदय से नर तन तुझे मिला, तुझे मिला ।
उत्तम कुल सागर मैं आ तू कमल खिला, कमल खिला ।।
अब क्यों गर्व गुमानी हो धर्म भुलाया अपना, पड़ा पाप पाले पाले ।।१ ।।
नश्वर धन यौवन पर इतना मत फूले, मत फूले ।
पर सम्पत्ति को देख ईर्षा मत झूले, मत झूले ।।
निज कर्त्तव्य विचार कर, पर उपकारी होकर पुण्य कमाले, कमाले ।।२ ।।
देवादिक भी मनुष जनम को तरस रहे, तरस रहे ।
मूढ़! विषय भोगों में, सौ सौ बरस रहे, बरस रहे ।।
चिंतामणि को पाकर रे कीमत नहीं जानी तूने, गिरा कीच नाले नाले ।।३ ।।
बीती बात बिसार चेत तू, सुरज्ञानी, सुरज्ञानी ।
लगा प्रभु से ध्यान सफल हो, जिंदगानी, जिंदगानी ।।
धन वैभव `सौभाग्य' बढ़े आदर हो जग में तेरा, खुले मोक्ष ताले ताले ।।४ ।।