भावों में सरलता
From जैनकोष
भावों में सरलता रहती है, जहाँ प्रेम की सरिता बहती है ।
हम उस धर्म के पालक हैं, जहाँ सत्य अहिंसा रहती है ।।
जो राग में मूँछे तनते हैं, जड़ भोगों में रीझ मचलते हैं ।
वे भूलते हैं निज को भाई, जो पाप के सांचे ढलते हैं ।।
पुचकार उन्हें माँ जिनवाणी, जहाँ ज्ञान कथायें कहती हैं ।।हम उस. ।।१ ।।
जो पर के प्राण दुखाते हैं, वह आप सताये जाते हैं ।
अधिकारी वे हैं शिव सुख के, जो आतम ध्यान लगाते हैं ।।
`सौभाग्य' सफल कर नर जीवन, यह आयु ढलती रहती है ।।हम उस. ।।१ ।।