मिथ्या यह संसार है, झूठा यह संसार है रे
From जैनकोष
मिथ्या यह संसार है, झूठा यह संसार है रे
जो देही षट्ररसों पोषै, सो नहिं संग चलै रे ।
औरनिको तोहि कौन भरोसो, नाहक मोह करै रे, भाई ।।मिथ्या. ।।१ ।।
सुख की बातैं बूझै नाहीं, दुख को सुक्ख लखै रे ।
मूढ़ों माहीं मातों डोलै, साधौं पास डरै रे, भाई ।।मिथ्या. ।।२ ।।
झूठ कमाता झूठी खाता, झूठी जाप जपै रे ।
सच्चा सांई सूझै नांहीं, क्यों करि पार लगैरे, भाई ।।मिथ्या. ।।३ ।।
जमसों डरता फूला फिरता, करता मैं मैं मैं रे ।
`द्यानत' स्याना सोही जाना, जो प्रभु ध्यान धरै रे भाई ।।मिथ्या. ।।४ ।।