मैं हूँ आतमराम
From जैनकोष
मैं हूँ आतमराम, मैं हूँ आतमराम,
सहज स्वभावी ज्ञाता दृष्टा चेतन मेरा नाम ।।टेर ।।
कुमति कुटिल ने अब तक मुझको निज फंदे में डाला ।
मोहराज ने दिव्य ज्ञान पर, डाला परदा काला ।
डुला कुगति अविराम, खोया काल तमाम ।।सहज ।।१ ।।
जिन दर्शन से बोध हुआ है मुझको मेरा आज ।
पर द्रव्यों से प्रीति बढ़ा निज, कैसे करूँ अकाज ।
दूर हटो जग काम, रागादिक परिणाम ।।सहज ।।२ ।।
आओ अंतर ज्ञान सितारो, आतम बल प्रगटा दो ।
पंचम गति ``सौभाग्य मिले प्रिय आवागमन छुड़ादो ।
पाऊँ सुख ललाम, शिवस्वरूप शिवधाम।।सहज ।।३ ।।