योगसार - मोक्ष-अधिकार गाथा 315
From जैनकोष
ज्ञेय स्वभाव के कारण आत्मा सर्वज्ञ -
सामान्यवद् विशेषाणां स्वभावो ज्ञेयभावत: ।
ज्ञायते स च वा साक्षाद् विना विज्ञायते कथम् ।।३१५।।
अन्वय :- सामान्यवत् विशेषाणां स्वभाव: ज्ञेयभावत: ज्ञायते स: (स्वभाव:) च साक्षात् (ज्ञानं) विना वा कथं विज्ञायते?
सरलार्थ :- सर्व पदार्थो में ज्ञेयभाव अर्थात् प्रमेयत्वगुण होने से जिसप्रकार वस्तु के सामान्यस्वभाव को ज्ञान जानता है; उसीप्रकार वस्तु के विशेषस्वभाव को भी ज्ञान जानता ही है; केवलज्ञान के बिना सम्पूर्ण पदार्थो को विशद-स्पष्टरूप से कैसे जाना जा सकता है अर्थात् नहीं जाना जा सकता ।