वर्णीजी-प्रवचन:ज्ञानार्णव - श्लोक 899
From जैनकोष
जनन्यो यमिनामष्टौ रत्नत्रयविशुद्धिदा:।
एताभी रक्षितं दोषैर्मुनिवृंदं न लिप्यते।।
प्रवचनमातृका संकेत- 5 समिति 3 गुप्ति यह आठ प्रवचनमात्रिका संयमी पुरुषों की रक्षा करने वाली माता है। इन आठ का नाम प्रवचनमात्रिका है। रत्नत्रय की विशुद्धि देने वाली है और इससे रक्षा किये हुए मुनियों का समूह दोषों से लिप्त नहीं होता है। 5 महाव्रत, 5 समिति और 3 गुप्ति ये 13 चारित्र के अंग हैं। इन 13 प्रकार के चारित्रों को निर्दोष पालने वाले मुनि दोषों से लिप्त नहीं होते। और, जो निर्दोष हैं वे आत्मध्यानी बनते हैं और आत्मध्यान से ही निर्वाण मिलता है, अतएव जिसे मुक्ति की चाह है उसे पापों से दूर रहना चाहिए और आत्मतत्त्व के ध्यान में यत्न करना चाहिए।