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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:भावपाहुड - गाथा 95 | अगला पृष्ठ ]] ...98 KB (188 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...pan> <span class="SanskritText">कारणं निर्वृतेरेतच्चारित्रं व्यवहारत:।...।95।</span> <span class="HindiText">व्रतादि का आचरण ...233 KB (4,417 words) - 21:21, 17 February 2024
- <p> <strong>95. परकर्तृत्वबुद्धि का दुष्पर ...169 KB (383 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...ात्र को ग्रहण करने वाला नय नैगम है। <span class="GRef">( राजवार्तिक/1/33/2/95/13 )</span>; <span class="GRef">(श्लोकवार्तिक/4/1/3 ...1,022 KB (19,074 words) - 14:26, 2 March 2024
- ...वे सब भाव अचेतन हैं । सर्राफ का भाव शुद्ध सोना खरीदने का है, अगर वह 90 या 95 टंच वाले को शुद्ध सोना मान ले ...106 KB (201 words) - 11:58, 17 May 2021
- ...है, और अनुचित आचरण से निवृत्त हो जाता है।1508। <span class="GRef">(मूलाचार/95-102)</span></li> ...253 KB (3,420 words) - 21:04, 15 February 2024
- <p> प्रश्न 95-―वशदोष किसे कहते हैं?</p> ...202 KB (1,441 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...ों में जानना चाहिए। वह जीव नियम से पंचेंद्रिय, संज्ञी और पर्याप्तक होता है।95। <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत ...458 KB (8,107 words) - 06:00, 11 July 2024
- <td width="90" valign="top"><p class="HindiText">73/95</p></td> ...357 KB (33,626 words) - 20:09, 15 February 2024
- ...224 KB (549 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...235 KB (2,385 words) - 13:39, 17 April 2020
- <td>95 देवेन्द्रकीर्ति</td> ...645 KB (29,383 words) - 14:40, 27 November 2023
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