Category:पुराण-कोष
From जैनकोष
जैन पुराण-कोश
सम्पादक
प्रो० प्रवीणचन्द्र जैन
डा० दरबारीलाल कोठिया
सह-सम्पादक
डॉ० कस्तूरचन्द सुमन
प्रकाशक
जैनविद्या संस्थान
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी (राजस्थान)
जैन वाङ्मय में प्रकाशित इतर कोशों की अपेक्षा प्रस्तुत कोश की प्रकृति भिन्न है । इसमें जैनधर्म में माने गये तिरेसठ शलाका पुरुष — चौबीस तीर्थंकर, बारह चक्रवर्ती, नौ बलभद्र, नौ नारायण, नौ प्रतिनारायणों तथा प्रसिद्ध राजवंशों से सम्बन्धित कथानकों और अवान्तर-कथाओं में आये पात्रों का पौराणिक दृष्टि से परिचय कराये जाने के कारण इसे जैन पुराण कोश नाम दिया गया है ।
इसमें पारिभाषिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक, पौराणिक ― व्यक्ति, राजा-महाराजा तथा राजवंशों के लगभग ९००० संज्ञाओं और १२००० शब्दों की महत्त्वपूर्ण और प्रामाणिक सामग्री, जैन वाङ्मय के पांच प्रमुख पुराणों — महापुराण, पद्मपुराण, हरिवंशपुराण, पाण्डवपुराण, और वीरवर्द्धमानचरित के आधार से सन्दर्भसहित संकलित की गयी है ।
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- अन्यरामारति
- अप
- अपदर्शन
- अपध्यान
- अपरविदेह
- अपरांत
- अपरांतक
- अपराजित
- अपराजिता
- अपरिग्रह महाव्रत
- अपर्याप्तक
- अपवर्ग
- अपवर्तिका
- अपात्र
- अपाप
- अपायविचय
- अपूप
- अपूर्वकरण
- अपृथग्विक्रिया
- अपोह
- अप्काय
- अप्रणतिवाक्
- अप्रतिघ
- अप्रतिघात
- अप्रतिघातकामिनी
- अप्रतिष्ठान
- अप्रत्याख्यानक्रिया
- अप्रमतसंयत
- अप्रमेयत्व
- अप्रशस्तध्यान
- अप्सरा
- अब्द
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- अभय
- अभयकुमार
- अभयघोष
- अभयदान
- अभयनंदी
- अभयनिनाद
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- अभयानंद
- अभव्य
- अभात्य
- अभिचंद्र
- अभिजया
- अभिनंदन
- अभिनंदिनी
- अभिनयाश्रय
- अभिभाना
- अभिमन्यु
- अभिराम
- अभिरुद्गता
- अभिषवाहार
- अभिषेक
- अभिसार
- अभीक्ष्णज्ञानोपयोग
- अभीष्टद
- अभेद्य
- अभेद्यत्व
- अभोगिनी
- अभ्यनुज्ञातग्रहण
- अभ्याख्यान
- अभ्युदय
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- अमर
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- अमरावर्त
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- अमलकंठ
- अमित
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- अमिततेज
- अमितप्रभ
- अमितप्रभा
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- अमितवती
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- अमितविक्रम
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- अमूर्त
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- अमृत
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