कविवर श्री बुधजनजी कृत भजन
From जैनकोष
- और ठौर क्यों हेरत प्यारा, तेरे हि घट में जानन हारा
- काल अचानक ही ले जायगा
- तन देख्या अथिर घिनावना
- तेरो करि लै काज वक्त फिरना
- भजन बिन यौं ही जनम गमायो
- अरे हाँ रे तैं तो सुधरी बहुत बिगारी
- मैंने देखा आतमराम
- अब अघ करत लजाय रे भाई
- तोकौं सुख नहिं होगा लोभीड़ा!
- नरभव पाय फेरि दुख भरना
- आगै कहा करसी भैया
- बाबा मैं न काहूका
- धर्म बिन कोई नहीं अपना
- निजपुर में आज मची होरी
- मेरा साँई तौ मोमैं नाहीं न्यारा
- उत्तम नरभव पायकै
- जिनबानी के सुनैसौं मिथ्यात मिटै
- मति भोगन राचौ जी
- सम्यग्ज्ञान बिना, तेरो जनम अकारथ जाय
- भोगारां लोभीड़ा, नरभव खोयौ रे अज्ञान
- बन्यौ म्हांरै या घरीमैं रंग
- कींपर करो जी गुमान
- अब घर आये चेतनराय
- हमकौं कछू भय ना रे
- म्हे तौ थांका चरणां लागां