धरण
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
तोल का एक प्रमाण―देखें गणित - I.1.2।
पुराणकोष से
(1) जंबूद्वीप की कौशांबी नगरी का राजा, तीर्थंकर पद्मप्रभ का जनक । महापुराण 52.18-21, पद्मपुराण - 20.42
(2) लक्ष्मण का पुत्र । पद्मपुराण - 94.27-28
(3) विदेहक्षेत्र की पूर्वदिशा में स्थित एक द्वीप । पद्मपुराण - 3.46
(4) विदेहक्षेत्र में गंधमालिनी देश की वीतशोका नगरी के राजा वैजयंत के पुत्र जयंत मुनि का जीव । अपने पिता के केवलज्ञान-महोत्सव मे आये धरणेंद्र को देखकर इसने धरणेंद्र होने का निदान किया था और उसके फलस्वरूप मरकर यह घरणेंद्र हुआ था । हरिवंशपुराण - 27.5-9 इसके भाई संजयंत मुनि को पूर्व बैर के कारण विद्युद्दंष्ट्र विद्याधर उठा ले गया और उन्हें विद्याघरों को भड़काकर मरवा डाला । संजयंत मुनि तो केवलज्ञानी होकर निर्वाण को प्राप्त हुए किंतु विद्युद्दंष्ट्र के इस व्यवहार से रुष्ट होकर इसने उसकी समस्त विद्याएँ हर ली । इसने उसे मारना चाहा किंतु लांतवेंद्र आदित्याभ ने आकर उसे रोक लिया था । हरिवंशपुराण - 27.10-18
(5) एक यदुवंशी राजा । यह वासुकि, धनंजय, कर्कोटक, शतमुख और विश्वरूप का जनक था । अपरनाम धारण । हरिवंशपुराण - 18.12-13,[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_48#50|हरिवंशपुराण - 48.50]
(6) भवनवासी देवों का इंद्र । हरिवंशपुराण - 9.129