लक्ष्मी
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- शिखरी पर्वतस्थ पुंडरीक हृद की स्वामिनी देवी।−देखें लोक - 3.9।
- शिखरी पर्वतस्थ कूट और निवासिनी देवी।−देखें लोक - 5.4।
- विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर।−देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) छ: जिनमातृक देवियों में एक दिक्कुमारी देवी । इसकी आयु एक पल्य की होती है । गर्भावस्था में जिनमाता की सेवा करती है । महापुराण में यही देवी व्यंतरेंद्र की वल्लभा और पुंडरीक हृदयवासिनी एक व्यंतर देवी भी कही गयी है । महापुराण 12.163-164, 38.226, 63. 200 पद्मपुराण - 3.112-113, हरिवंशपुराण - 5.130-131, वीरवर्द्धमान चरित्र 7.105-108
(2) कुशाग्रपुर के राजा शिवाकर की रानी । यह छठें नारायण पुंडरीक की जननी थी । पद्मपुराण - 20.221-226
(3) रत्नपुर के राजा विद्यांग की रानी । यह विद्यासमुद्घात की जननी थी । पद्मपुराण - 6.390
(4) अंजना के जीव कनकोदरी की सौत । पद्मपुराण - 17.166-167
(5) रावण और लक्ष्मण की आगामी भव की जननी । पद्मपुराण - 123.112-119
( 6) रावण की रानी । पद्मपुराण - 77.14
(7) अक्षपुर के राजा हरिध्वज की रानी । यह राजा अरिंदम की जननी थी । पद्मपुराण - 77.57
(8) दशरथ की पुत्रवधू और भरत की भाभी । पद्मपुराण - 83.94
(9) राजा वज्रजंघ की रानी । शशिचूला इसकी पुत्री थी । पद्मपुराण - 101.2