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- ...j;गल दो प्रकार के हैं—कार्यपरमाणु और कारणपरमाणु और विभावपुद्‌गल 6 प्रकार के कहे गए हैं। इन पुद् ...35 KB (596 words) - 13:39, 17 April 2020
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:नियमसार - नियमसार गाथा 6 | अगला पृष्ठ ]] ...23 KB (333 words) - 13:39, 17 April 2020
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- ...योत्सर्ग जहां है वहाँ ही कायगुप्ति है। अथवा 5 प्रकार के स्थावर और त्रस, इन 6 काय के जीवों की हिंसा का सर्व ...करने में हमें 6 महीने लगेंगे। उसने 6 माह तक खूब ध्यान, मनन चिंतवन किया और 6 माह बाद दरबार के सामने से मुन ...50 KB (132 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...्लेश―ये 6 तो बाह्यतप हैं, ये व्यवहारनय के तपश्चरण हैं, किंतु अंतरंग में जो 6 तप हैं प्रायश्चित्त, विनय, वै ...29 KB (105 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...24 KB (60 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...xt"> सल्लेखनागत क्षपक के मृत शरीर संबंधी।–देखें [[ सल्लेखना#6 | सल्लेखना - 6]]।<br /> <li class="HindiText">[[#3.6 | अनंतानुबंधी विसंयोजक के मर ...147 KB (2,432 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...35 KB (114 words) - 11:57, 17 May 2021
- <li id="I.6"> [[ हिंसा#1.6 | हिंसा अत्यंत निंद्य है।]]</li> ...91 KB (1,799 words) - 17:09, 16 February 2024
- ...िया कराया, इसी तरह (4)मन वचन से किया अनुमोदा, (5)मन, काय से किया अनुमोदा, (6)वचन काय से किया अनुमोदा, फिर (7 ...64 KB (211 words) - 16:35, 2 July 2021
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- ...61 KB (668 words) - 13:39, 17 April 2020
- ...का। स्वभावपुद्गल दो प्रकार के हैं―कार्यपरमाणु और कारणपरमाणु और विभावपुद्गल 6 प्रकार के कहे गए हैं। इन पुद् ...33 KB (162 words) - 16:34, 2 July 2021
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