वरुण
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- लोकपाल देवों का एक भेद - देखें लोकपाल ।
- मल्लिनाथ का शासक यक्ष - देखें तीर्थंकर - 5.3 ।
- दक्षिण वारुणीवर द्वीप का रक्षक देव - देखें व्यंतर - 4 ।
- किजयार्ध के दक्षिण में स्थित एक पर्वत देखें मनुष्य - 4
- रसातल का राजा था । रावण के साथ युद्ध होने पर हनुमान् ने इसके सौ पुत्रों को बाँध लिया और अंत में इसको भी पकड़ लिया । पद्मपुराण - 19.59-61
- भद्रशाल वन में कुमुद व पलाशगिरि नामक दिग्गजेंद्र पर्वतों के स्वामी देव - देखें लोक - 3.12 ।
पुराणकोष से
(1) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण - 52.39
(2) वृषभदेव के सातवें गणधर । हरिवंशपुराण - 12.65
(3) वारुणीवर-द्वीप का रक्षक देव । हरिवंशपुराण - 5.640
(4) एक निमित्तज्ञ । इसने कंस को उसका हंता उत्पन्न हो चुकने की बात बतायी थी । महापुराण 70. 412, हरिवंशपुराण - 35.37
(5) एक मुनि । चंपानगरी के सोमदत्त, सोमिल और सोमभूति तीनों भाई सोमभूति की स्त्री नागश्री के मुनि को विष मिश्रित आहार देने से विरक्त होकर इन्हीं से दीक्षित हुए थे । महापुराण 72.235 हरिवंशपुराण - 64.4-12, पांडवपुराण 23. 108-109
(6) समवसरण के तीसरे कोट के चार गोपुरों में पश्चिमी गोपुर के आठ नामों में सातवां नाम । हरिवंशपुराण - 57.59
(7) भरतक्षेत्र में विजयार्ध के दक्षिण भाग के समीप स्थित एक पर्वत । विद्युद्दंष्ट्र पूर्व बैरवश संजयंत मुनि को भद्रशाल वन से उठाकर यहाँ छोड़ गया था । हरिवंशपुराण - 27.11-14
(8) एक लोकपाल । यह नंदन वन के गांधर्व भवन में साढ़े तीन करोड़ देवागंनाओं के साथ क्रीडारत रहता है । हरिवंशपुराण - 5.317-318
(9) जिनेंद्र का अभिषेक करने वाला एक देव । पद्मपुराण -3. 185
(10) मेघरथ-विद्याधर और उसकी स्त्री वरुणा का पुत्र । इंद्र ने इसे मेघपुर नगर के पश्चिम दिशा का लोकपाल बनाया था । पाश इसका शस्त्र था । रावण से विरोध हो जाने पर युद्ध में खरदूषण को इसी के सौ पुत्रों ने पकड़ा था । अंत में यह युद्ध में रावण के द्वारा पकड़े जाने पर अपनी पुत्री सत्यवती रावण को देकर लौट आया था । पद्मपुराण - 7.110-111, 16. 34-54, पांडवपुराण 19.61, 98
(11) एक अस्त्र इससे आग्नेय अस्त्र का निवारण किया जाता है । रावण ने इंद्र लोकपाल के साथ हुए युद्ध में इसका उपयोग किया था । पद्मपुराण - 12.325, 74.103