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content for 7. प्रकृति बंध विषयक प्ररूपणाएँ remaining
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- सम्यग्दर्शन
- द्वीप क्षेत्र पर्वत आदि का विस्तार
सल्लेखनाज्ञान- द्वीप पर्वतों आदि के नाम रस आदि
- सत्त्व विषयक प्ररूपणाएँ
सप्तभंगीजन्म- आगम
धर्मबंधचारित्र- इसमें 6.3 के बाद वाले content नहीं है |- नय सामान्य
- करण
- धर्मध्यान
- जीव
- भाव
- मतिज्ञान
- प्रकृति बंध
- जंबूद्वीप निर्देश
- अनुप्रेक्षा
- स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ
- मरण
- द्रव्य
- कर्ता
- आहार
- निमित्त की कथंचित् गौणता मुख्यता
- साधु
- मन:पर्यय
- द्वादश चक्रवर्ती निर्देश
- लेश्या
- अनुभाग
- स्वर्ग देव
- अनेकांत
- दान
- कृतिकर्म
- नियति
- अनुभव
- कषाय
- उपयोग
- तप
- प्रत्यय
- एकांत
- देव
- उत्पादव्ययध्रौव्य
- कारण सामान्य निर्देश
- ब्रह्मचर्य
- श्रुतज्ञान सामान्य निर्देश
- भिक्षा
- व्यंतर लोक निर्देश
- हिंसा
- स्याद्वाद निर्देश
- परमाणु
- व्युत्सर्ग
- सुख
- ध्यान
- ज्योतिष लोक
- प्रायश्चित्त
- प्रमाण
- संयम
- उपचार
- स्थितिबंध प्ररूपणा
- पर्याप्ति
- आकाश
- चैत्य चैत्यालय
- मंगल
- अपकर्षण
- प्रदेश
- स्वाध्याय
- आहारक
- व्रत
- लब्धि
- श्वेतांबर
- अनंत
- पूजा
- व्यक्ताव्यक्त राग निर्देश
- क्षयोपशम
- प्रोषधोपवास
- भक्ष्याभक्ष्य
- वर्गणा निर्देश
- अनुयोग
- गणित I.1.4
- कर्म
- काल 02
- लिंग
- कालानुयोग 01
- काल 01
- भवन
- समिति
- संस्कार
- सासादन
- क्षय
- स्वामित्व
- निक्षेप 5
- उपादान कारण की मुख्यता गौणता
- शब्द लिंगज श्रुतज्ञान विशेष
- भक्ति
- शुक्लध्यान भेद व लक्षण
- परमात्मा
- गुप्ति
- अपवाद
- दिव्यध्वनि
- चेतना
- मंत्र
- दृष्टिभेद
- अवग्रह
- तत्त्व
- धर्माधर्म
- लोकसामान्य निर्देश
- वसतिका
- प्रत्यक्ष
- वेदनीय
- काय
- ध्येय
- निक्षेप 1
- मनुष्य
- हेतु
- सोलह कुलकर निर्देश
- स्वभाव विभाव, अर्थ व्यंजन व द्रव्य गुण पर्याय निर्देश
- मूर्त
- दृष्टांत
- अन्य द्वीप सागर निर्देश
- उपदेश
- परिशिष्ट
- केवली 05
- क्षेत्र 03
- सूक्ष्म
- दर्शन उपयोग 2
- कारण कार्य भाव समन्वय
- स्कंध
- न्याय
- कृष्टि
- स्त्री
- निक्षेप 6
- बौद्धदर्शन
- सत्य
- केवलज्ञान का स्वपर-प्रकाशकपना
- दर्शन उपयोग 5
- प्रत्याख्यान
- श्रद्धान
- संवर
- मोक्ष के अस्तित्व संबंधी शंकाएँ
- नव नारायण निर्देश
- अनुमान
- श्रुतकेवली
- शुद्धि
- मन
- अर्थलिंगज श्रुतज्ञान विशेष निर्देश
- निर्जरा
- वर्णव्यवस्था निर्देश
- निगोद निर्देश
- वर्गणा
- पर्याय
- समवसरण
- गुणस्थान
- केवलज्ञान की सर्वग्राहकता
- अहिंसा
- संगति
- प्राण
- क्षुल्लक
- औदारिक
- श्रावक के मूल व उत्तर गुण निर्देश
- साधारण शरीर में जीवों का उत्पत्ति क्रम
- श्रेणी
- निक्षेप 3
- गुरु
- कारक
- अतिचार
- आलोचना
- ज्ञानावरण
- पूजायोग्य द्रव्य विचार
- परिषह
- रात्रि भोजन
- छेदोपस्थापना
- तेजस
- वृक्ष
- ध्याता
- काल 03
- आर्त्तध्यान
- परिग्रह