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- सो मत सांचो है मन मेरे
- सोग न कीजे बावरे! मरें पीतम लोग
- सोहां दीव (शोभा देवें) साधु तेरी बातड़ियां
- सौ सौ बार हटक नहिं मानी
- स्वामी तेरा मुखड़ा है मन को लुभाना
- हम आये हैं जिनभूप! तेरे दरसन को
- हम तो कबहुँ न निज घर आये
- हम तो कबहुँ न निजगुन भाये
- हम तो कबहूँ न हित उपजाये
- हम न किसीके कोई न हमारा, झूठा है जगका ब्योहारा
- हम लागे आतमरामसों
- हमकौं कछू भय ना रे
- हमारे ये दिन यों ही गये जी
- हमारो कारज ऐसे होय 2
- हमारो कारज कैसें होय 1
- हरी तेरी मति नर कौनें हरी
- हे जिन तेरे मैं शरणै आया
- हे जिन तेरो सुजस उजागर
- हे जिन मेरी, ऐसी बुधि कीजै
- हे नर, भ्रमनींद क्यों न छांडत दुखदाई
- हे मन तेरी को कुटेव यह
- हे हितवांछक प्रानी रे
- हो भैया मोरे! कहु कैसे सुख होय
- होरी खेलौंगी, घर आये चिदानंद कन्त
- ३. वेदनीय के द्रव्य में
- ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - अर्थ
- ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - तात्पर्य-वृत्ति - हिंदी
- ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - मूल गाथा
- ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - समय-व्याख्या
- ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - समय-व्याख्या - हिंदी
- ग्रन्थ:प्रवचनसार - तत्त्व-प्रदीपिका - हिंदी
- ग्रन्थ:सैंपल
- पाठ:अपूर्व अवसर—श्रीमद राजचंद्र
- पाठ:अमूल्य तत्त्व विचार—पण्डित जुगल किशोर
- पाठ:आत्मबोध शतक—आर्यिका पूर्णमति
- पाठ:आराधना पाठ—पण्डित द्यानतराय
- पाठ:आलोचना पाठ—पण्डित जौहरिलाल
- पाठ:एकीभाव स्तोत्र—आचार्य वादीराज
- पाठ:कल्याणमन्दिर स्तोत्र हिंदी—आर्यिका चंदानामती
- पाठ:कल्याणमन्दिर स्तोत्र हिंदी—पण्डित बनारसीदास
- पाठ:कल्याणमन्दिरस्तोत्रम—आचार्य कुमुदचंद्र
- पाठ:कुंदकुंद शतक—पण्डित हुकमचंद भारिल्ल
- पाठ:गणधरवलय स्तोत्र
- पाठ:चौबीस तीर्थंकर स्तवन—पण्डित अभयकुमार
- पाठ:छहढाला—पण्डित द्यानतराय
- पाठ:छहढाला—पण्डित बुधजन
- पाठ:जिनवाणी स्तुति
- पाठ:दर्शन स्तुति—पण्डित दौलतराम
- पाठ:दुखहरन विनती—पण्डित वृन्दावनदास
- पाठ:देव स्तुति—पण्डित भूधरदास