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- <p><strong>रायद्दोसाईणं परिहारो भावणा होंति ।।36।।</strong></p> ...19 KB (47 words) - 11:55, 17 May 2021
- <p><strong>हाइ ण सयलु कयावि फुडु मुणु परमप्पउ सो जि ।।36।।</strong></p> ...97 KB (110 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...भावत: किं न परस्य सिद्धि</strong></p><p><strong>रतावकानामपि हा ! प्रपात: ।।36।।</strong></p> ...11 KB (53 words) - 15:53, 6 December 2021
- <p><strong>उप्पादेदि ण किंचिवि कारणमवि तेण ण स होदि ।।36।।</strong></p> ...31 KB (94 words) - 16:35, 2 July 2021
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- <p><strong>मुत्तूणट्ठपएसा जत्थ ण ढुरुदुल्लिओ जीवो ।।36।।</strong></p> ...4 KB (28 words) - 11:56, 17 May 2021
- <p><strong>सो झायदि अप्पाणं परिहरदि परं ण सदेहो ꠰꠰36꠰꠰</strong></p> ...35 KB (83 words) - 11:56, 17 May 2021
- भरहे दुस्समयाले मणुयाणं जायदे णियदं।।36।। ...12 KB (18 words) - 11:57, 17 May 2021
- <p><strong>सो सीलो स महप्पा भमित्थ गुणवित्थरं भविए ।।36।।</strong></p> ...5 KB (31 words) - 11:57, 17 May 2021
- तं मोहणिम्ममत्तं समयस्स वियाणया विंति ॥ 36 ॥ ...142 KB (160 words) - 16:35, 2 July 2021
- <p><strong>कालस्स ण कायत्तं एयपदेसो हवे जम्हा।।36।।</strong></p> ...38 KB (135 words) - 16:34, 2 July 2021
- <p><strong>भावेण सडदि णेया तस्सडणं चेदि णिज्जरा दुविहा ।।36।।</strong></p> ...9 KB (80 words) - 11:55, 17 May 2021
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- <p><span class="GRef">(राजवार्तिक अध्याय 5/19/36/473)</span> <span class="GRef">(गोम्मट्टसार जीव ...1 KB (26 words) - 22:15, 17 November 2023
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- <span class="GRef">पंचास्तिकाय संग्रह / तात्पर्यवृत्ति / गाथा 16/36/3</span> <p class="SanskritText">परद्रव्यसंबंधे ...2 KB (60 words) - 14:32, 28 December 2022
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- <p><span class="GRef">( त्रिलोकसार गाथा 14-36 <span class="GRef">) </span></li> ...26 KB (545 words) - 14:40, 27 November 2023
- <p> <strong>(36) सम्यक्त्वाचरणचारित्र का पर ...5 KB (26 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...3 KB (52 words) - 22:27, 17 November 2023
- ...5, दर्शनावरण की अवशिष्ट 6―इन 16 प्रकृतियों का क्षय हो जाता है । इस तरह 3+7+36+1+16=63 तिरेसठ प्रकृतियों का नाश [[ वर्णीजी-प्रवचन:द्रव्य संग्रह - गाथा 36 | पूर्व पृष्ठ ]] ...11 KB (84 words) - 11:55, 17 May 2021
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- [[दर्शनपाहुड़ गाथा 36 | Next Page]] ...6 KB (61 words) - 22:36, 2 November 2013
- ...an> [https://www.jainkosh.org/w/images/5/53/TC_Ch_2_3.pptx-color.pdf सूत्र 36-53]</span> ...23 KB (1,660 words) - 16:29, 9 May 2024
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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:युक्त्यनुशासन - गाथा 36 | पूर्व पृष्ठ ]] ...6 KB (35 words) - 16:06, 6 December 2021
- ...जितनाथ इसे ही राज्य देकर दीक्षित हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 48. 36 </span></p> ...5 KB (86 words) - 14:39, 27 November 2023
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- <p class="HindiText" id="1.2"><b>2. आचार्य के 36 गुणोंका निर्देश</b></p> ...ज्येष्ठ सद्गुण, प्रतिक्रमी, षण्मासयोगी, दो निषद्यक, 12 तप तथा 6 आवश्यक यह 36 गुण आचार्यों के हैं।</p> ...27 KB (471 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...10 KB (65 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...ने 36 । तब तो जीवन अच्छा चलेगा और वैभव में बन जाए 63 और भगवान् से बन जायें 36; तो आनंद न मिलेगा ।</p> ...19 KB (56 words) - 11:56, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षपाहुड - गाथा 36 | अगला पृष्ठ ]] ...8 KB (39 words) - 11:56, 17 May 2021
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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:शीलपाहुड - गाथा 36 | पूर्व पृष्ठ ]] ...9 KB (34 words) - 11:57, 17 May 2021
- <span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 5/36/312/6</span> <p class="SanskritText">ननु किमर्थमयं ...30 KB (471 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...शवर व पुलिंदादिक कर्मभूमिजम्लेच्छ हैं। <span class="GRef">( राजवार्तिक/3/36/4/204/14, 26 )</span>। </span><br /> ...f">( सर्वार्थसिद्धि/3/36/230/9 )</span>; <span class="GRef">( राजवार्तिक/3/36/4/204/20 )</span>; <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/5 ...30 KB (358 words) - 15:20, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:शीलपाहुड - गाथा 36 | अगला पृष्ठ ]] ...10 KB (37 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...) सूर्यकांत, (31) गैरिक, (32) चंदनमणि, (33) पन्ना (34) पुखराज, (35) नीलम, (36) मसारगल्लन ।</p> <p> प्रश्न 36―चतुरिंद्रिय जीवों की कितनी ...27 KB (214 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...12 KB (53 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...और चिरस्थायी है। 25। <span class="GRef">( पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/16/36/9 )</span>। </span><br /> <span class="GRef"> पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/16/36/16 </span><span class="SanskritText"> एते चार्थव्यं ...53 KB (951 words) - 14:52, 29 February 2024
- ...्भावों को पंचेंद्रिय विषयविजयों से दूर करना । यों 36 में 5 का गुणा होने पर 365=180 प्रकार के शील बने ।</p> ...26 KB (53 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...धर्म क्रियाओं के संबंध में स्वमत परमत की क्रियाओं का विशेष वर्णन है । इसके 36 हजार पद हैं । स्थानांग में जी ...40 KB (128 words) - 11:56, 17 May 2021
- | कालोद समुद्र|| 18 योजन|| (9)|| (4½)|| 36 योजन|| (18)|| (9) ...=20|| बादर तेज=35|| बेंद्रिय 51|| चौंद्रिय=56|| चौंद्रिय 61|| वात=21|| तेज=36|| वात=22|| तेज=37 ...40 KB (1,191 words) - 15:08, 26 February 2024
- ...होता है? समाधान:—भावक भाव का विवेक बताते हुए यही बात श्रीमत्कुंदकुंदाचार्य 36 वीं गाथा में कहते है— [[ वर्णीजी-प्रवचन:समयसार - गाथा 36 | अगला पृष्ठ ]] ...23 KB (25 words) - 16:35, 2 July 2021
- ...39 KB (673 words) - 17:20, 2 February 2024
- ...ल्हुक्खेण दुराहिएण। णिद्धस्स ल्हुक्खेण हवेदि बंधो जहण्णवज्जे विसमे समे वा।36।</span> = ...्ष पुद्गल के साथ जघन्य गुण के सिवा विषम अथवा सम गुण के रहने पर बंध होता है।36। <span class="GRef">( प्रवचनसार / तत्त्वप ...50 KB (1,154 words) - 18:58, 5 February 2024
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:चारित्रपाहुड - गाथा 36 | अगला पृष्ठ ]] ...17 KB (51 words) - 11:55, 17 May 2021
- <td>36</td> ...94 KB (7,374 words) - 22:36, 17 November 2023
- ...ो जिनेश्वर की आज्ञा से श्रद्धान करने वाला आत्मा सम्यक्त्व का आराधक होता है।36।</span><br/> ...47 KB (940 words) - 10:08, 22 March 2024
- <p> प्रश्न 36―21वां बंधापसरण कब और किसका हो ...र्याप्ति, (31) शुभ, (32) सुभग, (33) सुस्वर, (34) स्थिर, (35) आदेयनामकर्म, (36) तीर्थंकरनामकर्म ।</p> ...70 KB (471 words) - 11:55, 17 May 2021
- <p> <strong>36. अवशिष्ट समय को सत्पथ में व्य ...17 KB (52 words) - 11:57, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:रयणसार - गाथा 36 | पूर्व पृष्ठ ]] ...17 KB (17 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...19 KB (63 words) - 11:57, 17 May 2021
- <p class="HindiText"> <span class="GRef">(महापुराण सर्ग संख्या 21/31-36), (चारित्रसार पृष्ठ 167/4)</span></p> ...38 KB (742 words) - 14:40, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षपाहुड - गाथा 36 | पूर्व पृष्ठ ]] ...22 KB (63 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...12 प्रकार के तप और 6 आवश्यक अथवा महव्रतसमिति के स्थान में 10 धर्म लें, यों 36 उनके मूल गुण बनाये हैं, किंतु ...नका प्रसार जब आचार्य महाराज भली प्रकार करें तब ही तो करा सकते हैं। इस कारण 36 मूल गुण बताये हैं, किंतु आचार ...52 KB (129 words) - 16:34, 2 July 2021
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