कविवर श्री सौभाग्यमलजी कृत भजन
From जैनकोष
- भावों में सरलता
- निरखी निरखी मनहर मूरत
- मैं हूँ आतमराम
- मन महल में दो दो भाव जगे
- तोरी पल पल निरखें मूरतियाँ
- मत बिसरावो जिनजी
- तेरी शीतल-शीतल मूरत लख
- तेरे दर्शन से मेरा दिल खिल गया
- स्वामी तेरा मुखड़ा है मन को लुभाना
- तेरी शांति छवि पे मैं बलि बलि जाऊँ
- जहाँ रागद्वेष से रहित निराकुल
- तेरे दर्शन को मन दौड़ा
- लहरायेगा-लहरायेगा झंडा महावीर का
- लिया प्रभू अवतार, जय जय कार जय जय कार
- काहे पाप करे काहे छल
- ध्यान धर ले प्रभू को ध्यान धर ले
- जो आज दिन है वो, कल ना रहेगा, कल ना रहेगा
- संसार महा अघसागर में
- कहा मानले ओ मेरे भैया
- आज सी सुहानी सु घड़ी इतनी
- धोली हो गई रे काली कामली माथा की थारी
- पर्वराज पर्यूषण आया दस धर्मो की ले माला
- नित उठ ध्याऊँ, गुण गाऊँ, परम दिगम्बर साधु
- परम दिगम्बर यती, महागुण व्रती, करो निस्तारा
- पल पल बीते उमरिया रूप जवानी जाती
- त्रिशला के नन्द तुम्हें वंदना हमारी
- धन्य धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है
- तोड़ विषियों से मन जोड़ प्रभु से लगन
- प्रभु दर्शन कर जीवन की, भीड़ भगी मेरे कर्मन की
- भाया थारी बावली जवानी चाली रे
- तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो