Category:चरणानुयोग
From जैनकोष
चरणानुयोग का लक्षण
रत्नकरंडश्रावकाचार श्लोक 45 गृहमेध्यनगाराणां चारित्रोत्पत्तिवृद्धिरक्षांगम्। चरणानुयोगसमयं सम्यग्ज्ञानं विजानाति ॥45॥
= सम्यग्ज्ञान ही गृहस्थ और मुनियों के चारित्र की उत्पत्ति, वृद्धि, रक्षा के अंगभूत चरणानुयोग शास्त्र को विशेष प्रकार से जानता है।
( अनगार धर्मामृत अधिकार 3/11/261)।
द्रव्यसंग्रह / मूल या टीका गाथा 42/182/9 उपासकाध्ययनादौ श्रावकधर्मम्, आचाराराधनौ यतिधर्मं च यत्र मुख्यत्वेन कथयति स चरणानुयोगो भण्यते।
= उपासकाध्ययन आदिमें श्रावक का धर्म और मूलाचार, भगवती आराधना आदि में यति का धर्म जहाँ मुख्यता से कहा गया है, वह दूसरा चरणानुयोग कहा जाता है।
(पंचास्तिकाय संग्रह / तात्पर्यवृत्ति / गाथा 173/254/16)।
Pages in category "चरणानुयोग"
The following 200 pages are in this category, out of 1,753 total.
(previous page) (next page)आ
- आकिंचन्य धर्म
- आक्रंदन
- आक्रोश
- आक्रोश परिषह
- आखेट
- आगमभक्ति
- आग्नेयीधारणा
- आचरित
- आचलेक्य
- आचाम्ल
- आचाम्ल वर्द्धन
- आचाम्लवर्धन
- आचार
- आचार वर्द्धनव्रत
- आचारवत्त्व
- आचार्य
- आचार्यभक्ति
- आछेद्य
- आजीव
- आजीविका
- आजीविका हेतु
- आज्ञा
- आज्ञाविचय
- आज्ञाव्यापादिकी क्रिया
- आज्ञाव्यापादिकीक्रिया
- आतपन योग
- आत्मद्यात
- आत्मयज्ञ
- आत्मरक्षा
- आत्मसंस्कार काल
- आत्माधीनता
- आत्मानुपालन
- आदान निक्षेपन
- आदाननिक्षेपण
- आदिनाथ जयंती व्रत
- आदिनाथ निर्वाणोत्सव व्रत
- आदिनाथ शासन जयंती व्रत
- आधानक्रिया
- आधारवत्त्व
- आधि
- आधिकारिणी
- आध्यान
- आनयन
- आनर्थक्य
- आपातातिचार
- आपृच्छना
- आभ्यंतर तप
- आभ्यंतर परिग्रह
- आमंत्रिणी भाषा
- आम्नाय
- आयतन
- आयोपास
- आरंभ
- आरंभ क्रिया
- आरंभ त्याग प्रतिमा
- आरंभत्याग
- आरातीय
- आराधना
- आर्जव
- आर्जव धर्म
- आर्त्त
- आर्त्त अतिचार
- आर्त्तध्यान
- आर्ययज्ञ
- आर्यषट्कर्म
- आर्यिका
- आर्हंत्यक्रिया
- आलब्ध
- आलुंच्छन
- आलोचना
- आवंली
- आवर्त्त
- आवश्यक
- आवश्यकपरिहाणि
- आवश्यकापरिहाणि
- आवासक
- आवीचिका मरण
- आशंसा
- आशिर्विष रस ऋद्धि
- आशिष
- आशीर्वाद
- आशीर्विष
- आश्रम
- आष्टाह्निक
- आसन
- आसादन
- आसिका
- आसुरी
- आस्याविष ऋद्धि
- आस्रवानुप्रेक्षा
- आहवनीय अग्नि
- आहार
- आहारदान
- आहारविधि
- आहारशुद्धि
- आहुति मंत्र
इ
ई
उ
- उंचवृत्ति
- उक्तिकौशल
- उच्चकुल
- उच्चगोत्र
- उच्चस्थान
- उज्ज्वलांकुश
- उज्झनशुद्धि
- उडंडदशमीव्रत
- उत्कीलन
- उत्कृष्ट शातकुंभ
- उत्कृष्ट सिंहानिष्क्रीडित
- उत्कृष्टोपासकस्थान
- उत्तम क्षमा
- उत्तमजन
- उत्तमपात्र
- उत्तमार्थकाल
- उत्तरगुण
- उत्तरचूलिका
- उत्तरदिशा
- उत्तरित
- उत्तरीय
- उत्पाद
- उत्पादन
- उत्सर्ग
- उत्सर्ग तप
- उत्सर्ग मार्ग
- उत्सर्ग लिंग
- उत्सर्ग व अपवाद पद्धति
- उत्सर्ग समिति
- उदंबर
- उदराग्नि
- उदराग्नि प्रशमन वृत्ति
- उदि्दष्टत्याग
- उदुंबर
- उद्गम
- उद्गमघोष
- उद्दावण
- उद्दिष्ट
- उद्देशिक
- उद्धभाषण
- उद्भिन्न
- उद्यवन
- उद्यापन
- उद्वेग
- उन्मत्त
- उन्मिश्र
- उपकरण
- उपगूहन
- उपचार विनय के योग्यायोग्य पात्र
- उपचार विनय विधि
- उपदेश
- उपदेश-सम्यक्त्व
- उपदेशविधि
- उपधा
- उपधान
- उपधि
- उपनय ब्रह्मचारी
- उपनयन
- उपनीति
- उपनीतिक्रिया
- उपबृंहण
- उपभोग
- उपभोगपरिभोग-परिमाणव्रत
- उपभोगादिनिरर्थन
- उपमा सत्य
- उपयुक्त
- उपयोगिता
- उपवास
- उपवृंहण
- उपशम भाव
- उपसंपदा
- उपसंयत
- उपस्थ
- उपस्थापना
- उपाधि